The Journal of the Bihar Research Society, Volume 53Bihar Research Society., 1967 - Folk-lore |
From inside the book
Results 1-3 of 14
Page 277
... ही क्यों बनाया ? " उनकी पंक्ति है- " ननु उन्मत्तस्य नायं विवेक इति चेन्न , उन्मत्तस्य नानर्थप्रतीकारार्थं प्रवृत्तिरिति संदेश एव मा ...
... ही क्यों बनाया ? " उनकी पंक्ति है- " ननु उन्मत्तस्य नायं विवेक इति चेन्न , उन्मत्तस्य नानर्थप्रतीकारार्थं प्रवृत्तिरिति संदेश एव मा ...
Page 278
... ही क्यों नहीं दिखलाए , केवल कुछ ही दिन और कुछ ही रातों का उल्लेख क्यों किया ? देवगिरि से हिमाचल तक वह दिन रात की गणना में मौन क्यों है ...
... ही क्यों नहीं दिखलाए , केवल कुछ ही दिन और कुछ ही रातों का उल्लेख क्यों किया ? देवगिरि से हिमाचल तक वह दिन रात की गणना में मौन क्यों है ...
Page 280
... ही कल्पना की है । वे " प्रथमदिवस " ही मूलपाठ मानते हैं और उसका अर्थ शुक्ल पंचमी करते हैं । इसके लिए वे मुहूर्तचिन्तामणि की ...
... ही कल्पना की है । वे " प्रथमदिवस " ही मूलपाठ मानते हैं और उसका अर्थ शुक्ल पंचमी करते हैं । इसके लिए वे मुहूर्तचिन्तामणि की ...
Contents
OF | 1 |
A Short Account of the Wandering Ascetics Parivrājaka | 17 |
Ownership of Land in Ancient India | 27 |
22 other sections not shown