The Journal of the Bihar Research Society, Volumes 71-75 |
From inside the book
Results 1-3 of 19
Page 116
... इस विवाह के अर्न्तगत प्रजापति के कार्य : - ( १ ) संतान की उत्पत्ति तथा ( २ ) धर्माचरण की प्रधानता थी । आश्वलायन के अनुसार प्राजापत्य ...
... इस विवाह के अर्न्तगत प्रजापति के कार्य : - ( १ ) संतान की उत्पत्ति तथा ( २ ) धर्माचरण की प्रधानता थी । आश्वलायन के अनुसार प्राजापत्य ...
Page 124
... इस प्रकार हे सखे ! तू मेरी अनुव्रता हो । " त्वं मे सप्तपदः सखा " इस वाक्य द्वारा पति - पत्नी की मित्रता सरस और स्वाभाविक बनती थी ...
... इस प्रकार हे सखे ! तू मेरी अनुव्रता हो । " त्वं मे सप्तपदः सखा " इस वाक्य द्वारा पति - पत्नी की मित्रता सरस और स्वाभाविक बनती थी ...
Page 178
... इस प्रकार बतलाए गये हैं - पडित को इस बात का विचार करना चाहिए कि लोक में किन प्राचीन तथा अर्वाचीन धर्मो का व्यवहार होता है , उनमें से ...
... इस प्रकार बतलाए गये हैं - पडित को इस बात का विचार करना चाहिए कि लोक में किन प्राचीन तथा अर्वाचीन धर्मो का व्यवहार होता है , उनमें से ...
Contents
THE BIHAR RESEARCH SOCIETY | 1 |
A Study of | 9 |
Significance of Sahasrapradayin | 23 |
23 other sections not shown