The Journal of the Bihar Research Society, Volumes 71-75 |
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Results 1-3 of 27
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... हो , या फिर उसे जिस किसी रूप में व्यवहार में लाया जाता रहा हो , मगर ऐसी भी व्यवस्था थी जिसे अमल में लाकर वे मुक्त भी हो जा सकते थे । डा ...
... हो , या फिर उसे जिस किसी रूप में व्यवहार में लाया जाता रहा हो , मगर ऐसी भी व्यवस्था थी जिसे अमल में लाकर वे मुक्त भी हो जा सकते थे । डा ...
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... हो तथा लग्न से केन्द्र में १ , ४ , ७ और १० वें स्थान में वृहस्पति और शुक्र हो एवं सुत ( पंचम ) हिबुक ( चतुर्थ ) स्थान में शुभ ग्रहों का योग हो ...
... हो तथा लग्न से केन्द्र में १ , ४ , ७ और १० वें स्थान में वृहस्पति और शुक्र हो एवं सुत ( पंचम ) हिबुक ( चतुर्थ ) स्थान में शुभ ग्रहों का योग हो ...
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... हो , अर्ज के लिए द्विपदी हो , भूमि के लिए त्रिपदी हो , सुखों के लिए चतुष्पदी हो , पशुओं के लिए पंचपदी हो , ऋतुओं के लिए षट्पदी हो और ...
... हो , अर्ज के लिए द्विपदी हो , भूमि के लिए त्रिपदी हो , सुखों के लिए चतुष्पदी हो , पशुओं के लिए पंचपदी हो , ऋतुओं के लिए षट्पदी हो और ...
Contents
THE BIHAR RESEARCH SOCIETY | 1 |
A Study of | 9 |
Significance of Sahasrapradayin | 23 |
23 other sections not shown