अरविंद सहज समांतर कोश: शब्दकोश भी-थिसारस भी

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राजकमत प्रकाशन, 2006 - Hindi language - 1011 pages
‘अरविंद सहज समांतर कोश’ शब्दकोश भी है और थिसारस भी! किसी भी समर्थ भाषा की समृद्धि का सूचक उसका शब्दकोश होता है। जहाँ भाषा की शब्द-संपदा को वैज्ञानिक विधि से व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस दृष्टि से यह कोश अपनी तरह का पहला ऐसा शब्द-भंडार है जो प्रकृति से तो थिसारस है किंतु जिसका विन्यास कोशों की तरह हुआ है - अकारादि क्रम में। शब्दों के अर्थ बताने के साथ-साथ अर्थों के शब्द खोजने में भी सक्षम इस कोश में शब्दों के पर्याय, सपर्याय और विपर्याय भी सम्मिलित हैं जिसके कारण दावे के साथ कहा जा सकता है कि यह कोश अपने आपमें आवश्यक शब्द-सूचनाओं से भरपूर एक संपूर्ण ज्ञान-विज्ञान कोश की विशेषताएँ समेटे हुए है। अपने स्वरूप में यह शब्दार्थ कोश, समांतर कोश और ‘इंडेक्स’ की विशेषताओं संबद्ध और विपरीत शब्दों के क्रौस रेफरेंस तलाशे जा सकते हैं और इस कोश में मुहावरों और प्रचलित वाक्यांशों का भी खजाना है। इस कोश में भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शब्दमालिका को उतना ही महत्त्व दिया गया है जितना कि बदलते परिवेश में अद्युनातन प्रामाणिक शब्दावली को। इस कोश में अठहत्तर हजारे नौ सौ पंचानवे चुनी हुई अभिव्यक्तियों सहित पौने पाँच लाख से भी अधिक शब्द हैं, पर्याय और संबद्ध शब्दों के संकेतकों के साथ, अर्थात् यह कोश भाषा को वास्तविक ढंग से परिपुष्ट करने वाले हर तरह के तत्त्वों को समेटे हुए है। सटीक शब्द के चुनाव, किस संदर्भ के लिए कौन-सा शब्द उचित रहेगा या किसी अवधारणा को किस पारिभाषिक शब्द में अभिव्यक्त किया जा सकता है, आदि के लिए यह कोश समर्थ सहायक सिद्ध होगा।

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