Prasad Ke Sampoorn Natak Evam Ekanki

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Lokbharti Prakashan, Jan 1, 2008 - Hindi drama - 792 pages
NA
 

Contents

Section 1
3
Section 2
5
Section 3
9
Section 4
13
Section 5
23
Section 6
27
Section 7
41
Section 8
57
Section 25
295
Section 26
327
Section 27
337
Section 28
352
Section 29
367
Section 30
397
Section 31
408
Section 32
422

Section 9
69
Section 10
87
Section 11
91
Section 12
94
Section 13
109
Section 14
111
Section 15
113
Section 16
149
Section 17
151
Section 18
153
Section 19
169
Section 20
199
Section 21
209
Section 22
211
Section 23
289
Section 24
293
Section 33
455
Section 34
458
Section 35
459
Section 36
461
Section 37
511
Section 38
589
Section 39
619
Section 40
621
Section 41
682
Section 42
706
Section 43
717
Section 44
743
Section 45
747
Section 46
784
Section 47
785

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Common terms and phrases

अच्छा अपना अपनी अपने अब अभी अलका आज आज्ञा आनन्द आप इस इसी उस उसका उसके उसी उसे एक ऐसा ओर और कभी कर करके करता करती करते करना करने करो कहाँ का प्रवेश कामना कालिदास किन्तु किया किसी की कुछ के लिए के लिये के साथ केवल को कोई कौन क्या क्यों क्षमा गया गयी गये चन्द्रगुप्त चाणक्य चाहिये जब जा जाता है जाती जाते जाने जीवन जो तक तक्षक तब तुम तुम्हारे तुम्हें तू तो था थी थे दिया दृश्य दो दोनों नहीं नहीं है नाम ने पर परन्तु फिर बहुत बात ब्राह्मण भारत भी मगध महाराज मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहाँ यही या युद्ध रहा है रही रहे राजा राज्य ले लोग लोगों वह वही विलास वे सकता सब समय से स्कन्दगुप्त हम हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय है कि हैं हो होकर होगा होता है होने

About the author (2008)

जन्म : 30 जनवरी 1890, वाराणसी (उ.प्र.)। स्कूली शिक्षा मात्र आठवीं कक्षा तक। तत्पश्चात् घर पर ही संस्कृत, अंग्रेजी, पालि और प्राकृत भाषाओं का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, साहित्य और पुराण-कथाओं का एकनिष्ठ स्वाध्याय। पिता देवीप्रसाद तम्बाकू और सुँघनी का व्यवसाय करते थे और वाराणसी में इनका परिवार 'सुँघनी साहू’ के नाम से प्रसिद्ध था। पिता के साथ बचपन में ही अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की यात्राएँ कीं। छायावादी कविता के चार प्रमुख उन्नायकों में से एक। एक महान लेखक के रूप में प्रख्यात। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करुणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। 48 वर्षों के छोटे-से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबन्ध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएँ। प्रमुख रचनाएँ : झरना, आँसू, लहर, कामायनी (काव्य); स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, जनमेजय का नागयज्ञ, राज्यश्री (नाटक); छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी, इन्द्रजाल (कहानी-संग्रह); कंकाल, तितली, इरावती (उपन्यास)। 14 जनवरी, 1937 को वाराणसी में निधन।

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