Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... उसे अपलक नैत्रों से निहारता रहा । सुन्दरी संयोगिता भी उसे देखकर स्तंभित हो गई और उसे रोमांच , स्वेद , कंप और स्वरभंग हो गया । कवि ने ...
... उसे अपलक नैत्रों से निहारता रहा । सुन्दरी संयोगिता भी उसे देखकर स्तंभित हो गई और उसे रोमांच , स्वेद , कंप और स्वरभंग हो गया । कवि ने ...
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... उसे देख कर अच्छे अच्छे शिकारी सुधबुध खो बैठे- वह सिंह जहाँ पृथ्वीराज आखेट के लिये बैठा था वहाँ जा पहुँचा लंघरी राय जो श्रेष्ठ वीरों ...
... उसे देख कर अच्छे अच्छे शिकारी सुधबुध खो बैठे- वह सिंह जहाँ पृथ्वीराज आखेट के लिये बैठा था वहाँ जा पहुँचा लंघरी राय जो श्रेष्ठ वीरों ...
Page 803
... उसे । सामि = स्वामी ( जयचन्द ) | इन्द्र = इन्द्र स्वरूपी पृथ्वीराज । जुर - जुटे । हयमारा । सत = स्वतह , श्रकारण | मुद्ध - मुद्धंग = वज्र ...
... उसे । सामि = स्वामी ( जयचन्द ) | इन्द्र = इन्द्र स्वरूपी पृथ्वीराज । जुर - जुटे । हयमारा । सत = स्वतह , श्रकारण | मुद्ध - मुद्धंग = वज्र ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने