Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
From inside the book
Results 1-3 of 83
Page 773
... करता रहा और जितने राजा पंगुराज की सेवा में थे उन सबको पृथ्वीराज को रोकने की आज्ञा देता रहा और सावधान करता रहा कि पृथ्वीराज , सामन्त ...
... करता रहा और जितने राजा पंगुराज की सेवा में थे उन सबको पृथ्वीराज को रोकने की आज्ञा देता रहा और सावधान करता रहा कि पृथ्वीराज , सामन्त ...
Page 718
... करता | कोट = दिवाल | = अर्थः - वह घोड़ा शरीर पर शस्त्राघात की तो परवाह नहीं करता ; किंतु चाबुक की चोट नहीं सह सकता था । विकट मार्ग को पार ...
... करता | कोट = दिवाल | = अर्थः - वह घोड़ा शरीर पर शस्त्राघात की तो परवाह नहीं करता ; किंतु चाबुक की चोट नहीं सह सकता था । विकट मार्ग को पार ...
Page 758
... करते । धरां = धर | I । अर्थ : - : - युद्धरत बलिभद्र कछवाहा और पावस पुण्डीर ने युद्धार्थ बढ़ने के लिये राजा पृथ्वीराज के चरण स्पर्श किये ...
... करते । धरां = धर | I । अर्थ : - : - युद्धरत बलिभद्र कछवाहा और पावस पुण्डीर ने युद्धार्थ बढ़ने के लिये राजा पृथ्वीराज के चरण स्पर्श किये ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने