Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... करि । कर धरंत द्रिग अटु , डढ वाराह मुहि हरि || हरि वराह दिढ दट्ठू , करतु फनवे फन टारहि । फनिवै फनह टरंत , कमठ खोपरि जल भारहि सु जल्ल ...
... करि । कर धरंत द्रिग अटु , डढ वाराह मुहि हरि || हरि वराह दिढ दट्ठू , करतु फनवे फन टारहि । फनिवै फनह टरंत , कमठ खोपरि जल भारहि सु जल्ल ...
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... करि , मुगति मग्ग लभ्भी घरिय || ४५३ || शब्दार्थ : – गहिब = पकड़ी । करि वरु = चल करके , बल पूर्वक । त्रिभै = निर्भय , निडर । निञ्वरिय = निपट ...
... करि , मुगति मग्ग लभ्भी घरिय || ४५३ || शब्दार्थ : – गहिब = पकड़ी । करि वरु = चल करके , बल पूर्वक । त्रिभै = निर्भय , निडर । निञ्वरिय = निपट ...
Page 779
... करि तानियो । लग्यौ सुबान जयचंद हय , तब दुहु दल फिरि मानियो || ५८७ || शब्दार्थः – पबंग = घोड़ा । ततक्खिन - ततदक्षण | परत - कोट - दिवाल के ...
... करि तानियो । लग्यौ सुबान जयचंद हय , तब दुहु दल फिरि मानियो || ५८७ || शब्दार्थः – पबंग = घोड़ा । ततक्खिन - ततदक्षण | परत - कोट - दिवाल के ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने