Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... कवित्त जु छंद लों , खग सम पिंगल नाग ॥ २४६ ॥ शब्दार्थः - परिच्छा = परीक्षा | दरस = दर्शन । दुम्भर = दुर्लभ | भाग = भाग्य | वित्त = बात | कवित्त ...
... कवित्त जु छंद लों , खग सम पिंगल नाग ॥ २४६ ॥ शब्दार्थः - परिच्छा = परीक्षा | दरस = दर्शन । दुम्भर = दुर्लभ | भाग = भाग्य | वित्त = बात | कवित्त ...
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Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa] Canda Baradāī. कवित्त परे रेन रावत , राम रण रंग ... कवित्त कमधज्जह रयसल्ल , बिरद भैरू सु भूत गढ़ | पंगुराज सेना को ...
Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa] Canda Baradāī. कवित्त परे रेन रावत , राम रण रंग ... कवित्त कमधज्जह रयसल्ल , बिरद भैरू सु भूत गढ़ | पंगुराज सेना को ...
Page 676
... कवित्त ॥ १३६ ॥ || ॥ शब्दार्थः — भवस्य = भविष्य | ग्रकल = अज्ञात । सुमत = श्रेठ मंत्रणा | बिटु = बैठाई , निश्चय की । कवित्त = पद्यमय , छन्द ...
... कवित्त ॥ १३६ ॥ || ॥ शब्दार्थः — भवस्य = भविष्य | ग्रकल = अज्ञात । सुमत = श्रेठ मंत्रणा | बिटु = बैठाई , निश्चय की । कवित्त = पद्यमय , छन्द ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने