Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... गई । दिवस प्रभा रहित हो गया और चन्द्र - प्रभा फैल गई । तब पृथ्वीराज सुख पूर्वक शयन करने लगा और कथ्थक लोग उसे कहांनियाँ सुनाने लगे ...
... गई । दिवस प्रभा रहित हो गया और चन्द्र - प्रभा फैल गई । तब पृथ्वीराज सुख पूर्वक शयन करने लगा और कथ्थक लोग उसे कहांनियाँ सुनाने लगे ...
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... गई । श्रध = नीचे | धक्किय = खिसकी | मुररक्किय = मुड़ गये लोयन = लोकों का यह टहटह टहा , ध्वनि । उघट्टि = फैल गई । बर - पु ंब्ज = बलवानों का ...
... गई । श्रध = नीचे | धक्किय = खिसकी | मुररक्किय = मुड़ गये लोयन = लोकों का यह टहटह टहा , ध्वनि । उघट्टि = फैल गई । बर - पु ंब्ज = बलवानों का ...
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... गई । केवल युद्ध - स्थल में कहीं २ पर श्रेष्ठ योद्धा इस प्रकार दिखाई देते थे जैसे प्रातः काल होने पर कहीं २ तारे दिखाई देते हैं ...
... गई । केवल युद्ध - स्थल में कहीं २ पर श्रेष्ठ योद्धा इस प्रकार दिखाई देते थे जैसे प्रातः काल होने पर कहीं २ तारे दिखाई देते हैं ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने