Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... तुम मुझे मृत्यु का भय दिखाते हो ; किन्तु यह शिक्षा तो मुझे तब देनी चाहिये थी ; जब यमराज की आज्ञा के बिना किसी की मृत्यु हुई हो । तुमने ...
... तुम मुझे मृत्यु का भय दिखाते हो ; किन्तु यह शिक्षा तो मुझे तब देनी चाहिये थी ; जब यमराज की आज्ञा के बिना किसी की मृत्यु हुई हो । तुमने ...
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... तुम ही इससे पूछ सकते हो । जिसके कारण इस बिरोध में वृद्धि हुई है , तुम्हारे सदृश दूसरा बोर नहीं हो सकता ; क्योंकि तुम को जैमा प्रेम ...
... तुम ही इससे पूछ सकते हो । जिसके कारण इस बिरोध में वृद्धि हुई है , तुम्हारे सदृश दूसरा बोर नहीं हो सकता ; क्योंकि तुम को जैमा प्रेम ...
Page 682
... तुम | तुम बड्डे बडाइ , सब राजन्न देव सम || तुम जुगिंद जग जित्त , मति अथाह जुधि राह , तुम छत्त मंत कुन उच्चरै , तुमह हम पुच्छि प्रीत गुन ...
... तुम | तुम बड्डे बडाइ , सब राजन्न देव सम || तुम जुगिंद जग जित्त , मति अथाह जुधि राह , तुम छत्त मंत कुन उच्चरै , तुमह हम पुच्छि प्रीत गुन ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने