Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... धर धरयौ , धरह तिल तिल होय तुट्यौ ॥ धर तुट्टि फुट्ट कविचंद कहि , रोम रोम विध्यौ सरन । | सुर नरह नाग अस्तुति करहि बलि - बलि बलि छग्गन मरन ...
... धर धरयौ , धरह तिल तिल होय तुट्यौ ॥ धर तुट्टि फुट्ट कविचंद कहि , रोम रोम विध्यौ सरन । | सुर नरह नाग अस्तुति करहि बलि - बलि बलि छग्गन मरन ...
Page 602
... धर पकड़ | संमरि - धरा = चाहु श्रान की पृथ्वी | देव = देव तुल्य | उप्परि = ऊपर | दयत दैत्य तुल्य । हिल्ली हली , चली । काबिल = काबुल ...
... धर पकड़ | संमरि - धरा = चाहु श्रान की पृथ्वी | देव = देव तुल्य | उप्परि = ऊपर | दयत दैत्य तुल्य । हिल्ली हली , चली । काबिल = काबुल ...
Page 640
... धर ढारि धर , हय कमाल कालंन दर | कहा- बाद- आ जाय सय दून सद्धि पट्ठान रण , इह अचिज्ज अमर || १६ || शब्दार्थ : -सुच्यंतह = शुभ चिंतक । च्यंत ...
... धर ढारि धर , हय कमाल कालंन दर | कहा- बाद- आ जाय सय दून सद्धि पट्ठान रण , इह अचिज्ज अमर || १६ || शब्दार्थ : -सुच्यंतह = शुभ चिंतक । च्यंत ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने