Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... ने कहा , वह कथन उल्लंघन करने योग्य नहीं था , किन्तु उस समय राजा ने यही कहा कि पूर्व योजनानुसार हाथी , घोड़ों को बढ़ाते रहो और ...
... ने कहा , वह कथन उल्लंघन करने योग्य नहीं था , किन्तु उस समय राजा ने यही कहा कि पूर्व योजनानुसार हाथी , घोड़ों को बढ़ाते रहो और ...
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... ने कुदिन भी ललाट पर लिख दिए हैं । धन्य हैं ( आज हम राजा और राज्य की बुरी दशा देख रहें हैं ) वे क्षत्रिय जो स्वामी के ऋण से छुटकारा पागए ...
... ने कुदिन भी ललाट पर लिख दिए हैं । धन्य हैं ( आज हम राजा और राज्य की बुरी दशा देख रहें हैं ) वे क्षत्रिय जो स्वामी के ऋण से छुटकारा पागए ...
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... ने उसके शस्त्रों को हृदय में धारण किया , किस ने उसकी खड्ग धार वक्षस्थल पर सही , किसी ने उसकी मार सही और किसी ने उसके वार सहे । उस वीर ...
... ने उसके शस्त्रों को हृदय में धारण किया , किस ने उसकी खड्ग धार वक्षस्थल पर सही , किसी ने उसकी मार सही और किसी ने उसके वार सहे । उस वीर ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने