Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... भर | वज्रघात सामंत , अग्गि लग्गी सु खग्ग भर || हल हलंत दल पंग , दंग चहुआन जान भय । तत्र आयौ यसल्लु , बिरद भैरुं सु हाकत हक्क बर उच्चरिंग ...
... भर | वज्रघात सामंत , अग्गि लग्गी सु खग्ग भर || हल हलंत दल पंग , दंग चहुआन जान भय । तत्र आयौ यसल्लु , बिरद भैरुं सु हाकत हक्क बर उच्चरिंग ...
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... भर । पद्धरें खेत पति साहि सौं , करै भार उभभार भर ।। ७० ।। शब्दार्थ : - सरस = सरसता पूर्वक । वत = बात | श्रा - यह । हित्त = हितप्रद । ह = IED की ...
... भर । पद्धरें खेत पति साहि सौं , करै भार उभभार भर ।। ७० ।। शब्दार्थ : - सरस = सरसता पूर्वक । वत = बात | श्रा - यह । हित्त = हितप्रद । ह = IED की ...
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... भर || २५ || | | शब्दार्थ : -जामानि = जामराय यादव | चित्रंगराव = चित्रकूटेश्वर | जोग = योग्य , समान | जोग्यंद = योगेश्वर ( शित्र ) । मूल ब्रह्म ...
... भर || २५ || | | शब्दार्थ : -जामानि = जामराय यादव | चित्रंगराव = चित्रकूटेश्वर | जोग = योग्य , समान | जोग्यंद = योगेश्वर ( शित्र ) । मूल ब्रह्म ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने