Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... मन ही मन उसका चिंतन कर विचलित हो गया । फिर संभरेश्वर ने अपनी श्रवण शक्ति से जिस स्थान पर वह पक्षी बोल रहा था । उस स्थान को लक्ष्य कर ...
... मन ही मन उसका चिंतन कर विचलित हो गया । फिर संभरेश्वर ने अपनी श्रवण शक्ति से जिस स्थान पर वह पक्षी बोल रहा था । उस स्थान को लक्ष्य कर ...
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... मन मित्त = एक सौ मन या सात मन | फिटक = स्फटिक शिला । मदगल = मुद्गल | अर्थ : -शंख बजाने पर उसकी ध्वनि समुद्र - गर्जन के समान होती है ! जो मन ...
... मन मित्त = एक सौ मन या सात मन | फिटक = स्फटिक शिला । मदगल = मुद्गल | अर्थ : -शंख बजाने पर उसकी ध्वनि समुद्र - गर्जन के समान होती है ! जो मन ...
Page 659
... मन में किसी प्रकार का तुम दुराव मत रखो , न हठ ही पकड़ो और न बड़े बोल ही जबान पर लाओ , क्योंकि दिल्ली के ढ़ोल अब तुम्हारे सिर के बल पर ...
... मन में किसी प्रकार का तुम दुराव मत रखो , न हठ ही पकड़ो और न बड़े बोल ही जबान पर लाओ , क्योंकि दिल्ली के ढ़ोल अब तुम्हारे सिर के बल पर ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने