Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... या वनिता के पास रहे , अग्नि तापें या कुच गृहण करे , गिरि कन्दरा में बहते हुए गिरिजल का या अधर रस का पान करे , योग निद्रा के वश में या ...
... या वनिता के पास रहे , अग्नि तापें या कुच गृहण करे , गिरि कन्दरा में बहते हुए गिरिजल का या अधर रस का पान करे , योग निद्रा के वश में या ...
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... या सौ । 1 क्रम्मेलक = उष्ट्र , ऊँट | सजौ = द्रव्य से भरकर रवाना करो । संक्रमन राह हमारे जाने के रास्ते पर , हमारे साथ २ | अर्थ : फिर ...
... या सौ । 1 क्रम्मेलक = उष्ट्र , ऊँट | सजौ = द्रव्य से भरकर रवाना करो । संक्रमन राह हमारे जाने के रास्ते पर , हमारे साथ २ | अर्थ : फिर ...
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... या - फैल रहा था । मिलि = मिले | विम्मुहा = त्रिमुख , विरुद्ध | अर्थः : वह पत्र कपड़े के पांच या तेरह तह पलटकर चार मुहरें लगा थैली में ...
... या - फैल रहा था । मिलि = मिले | विम्मुहा = त्रिमुख , विरुद्ध | अर्थः : वह पत्र कपड़े के पांच या तेरह तह पलटकर चार मुहरें लगा थैली में ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने