Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... रस की ही प्रमुखता है ! भयानक , वीभत्स और रौद्र रस तो अधिकतर वीर के कहीं - २ अद्भुत रस की नियोजना करने से युद्ध का - सहायक होकर ही आये ...
... रस की ही प्रमुखता है ! भयानक , वीभत्स और रौद्र रस तो अधिकतर वीर के कहीं - २ अद्भुत रस की नियोजना करने से युद्ध का - सहायक होकर ही आये ...
Page 729
... रस । तव सद्दह तेरे कथन में , मोले वचनों में । विहत = हत , हतोत्साह ... रस है । तेरे भोले वचनों से हास्य रस और हतोत्साह युक्त वाक्यों से ...
... रस । तव सद्दह तेरे कथन में , मोले वचनों में । विहत = हत , हतोत्साह ... रस है । तेरे भोले वचनों से हास्य रस और हतोत्साह युक्त वाक्यों से ...
Page 669
... रस = वीर रस । समर = रावल समर - विक्रम | समर = युद्ध | सुरप्पुर = | | | स्वर्ग | जित्तिय = जीत लिया । वल्लह = वल्लभ | संजोग = संयोगिता | अर्थ ...
... रस = वीर रस । समर = रावल समर - विक्रम | समर = युद्ध | सुरप्पुर = | | | स्वर्ग | जित्तिय = जीत लिया । वल्लह = वल्लभ | संजोग = संयोगिता | अर्थ ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने