Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa] Canda Baradāī. ऐसे कमल के समान हो रही थी , जो पवन - वेग से इधर - उधर संचरित रहा हो । किन्तु अन्त में आयु पर लज्जा की ...
Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa] Canda Baradāī. ऐसे कमल के समान हो रही थी , जो पवन - वेग से इधर - उधर संचरित रहा हो । किन्तु अन्त में आयु पर लज्जा की ...
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... रहा , शिरोधार्य कर । बत = श के युत । रा - पंग = गुराज । किरित = फिरता रहा । जिके = जो । रोह = रोके रहो । तति = इसी स्थल पर । जिनि - जाय - निकसि ...
... रहा , शिरोधार्य कर । बत = श के युत । रा - पंग = गुराज । किरित = फिरता रहा । जिके = जो । रोह = रोके रहो । तति = इसी स्थल पर । जिनि - जाय - निकसि ...
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... रही थी । वपु = शरीर में । गुंजहि = गु ंजार कर रहा था | - 1 हर - नच्छ = शिव द्वारा नाश किया हुआ , कामदेव | सुभग = सुंदर | सँजोई = संयोगिता ...
... रही थी । वपु = शरीर में । गुंजहि = गु ंजार कर रहा था | - 1 हर - नच्छ = शिव द्वारा नाश किया हुआ , कामदेव | सुभग = सुंदर | सँजोई = संयोगिता ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने