Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... शरीर धारी । कल = सुन्दर । नाह = नाथ , स्वामी । । अर्थ : फिर चन्द उस दिव्य स्वरूप धारो के सामने गया और बोला , आपके शरीर के विविध रूप हैं ...
... शरीर धारी । कल = सुन्दर । नाह = नाथ , स्वामी । । अर्थ : फिर चन्द उस दिव्य स्वरूप धारो के सामने गया और बोला , आपके शरीर के विविध रूप हैं ...
Page 672
... शरीर की श्रोर नहीं देखती , शरीर की परवाह नहीं करती । पवन = श्वास । हात = साहता , पकड़ता । ग्राहत = रोकते हुए भी । तन्नै = शरीर | अंसु = अंश ...
... शरीर की श्रोर नहीं देखती , शरीर की परवाह नहीं करती । पवन = श्वास । हात = साहता , पकड़ता । ग्राहत = रोकते हुए भी । तन्नै = शरीर | अंसु = अंश ...
Page 796
... शरीर पर गदाओं के प्रहार होने लगे । वे गदायें ऐसी लगती थीं मानों पत्थर पर पानी की बूंदे पड़ती हों । उसका नहीं दबने वाला शरीर कठिनाई ...
... शरीर पर गदाओं के प्रहार होने लगे । वे गदायें ऐसी लगती थीं मानों पत्थर पर पानी की बूंदे पड़ती हों । उसका नहीं दबने वाला शरीर कठिनाई ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने