Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... समर ग्रह , समर सुरपुर भोग । समर सुजित्तिय पंग त्रप , तिहिं वल्लह संजोग ।। ५६ ।। शब्दार्थ : -सम = समान | रस = वीर रस । समर = रावल समर - विक्रम | समर ...
... समर ग्रह , समर सुरपुर भोग । समर सुजित्तिय पंग त्रप , तिहिं वल्लह संजोग ।। ५६ ।। शब्दार्थ : -सम = समान | रस = वीर रस । समर = रावल समर - विक्रम | समर ...
Page 674
... समर - सीह = समर केशरी । तिथ = तीर्थ | :: राजन = राजा , पृथ्वीराज | करत = म्यंटन = भेट | अर्थ : - उसी समय राजा ने कुसुमल पोषाक और पगड़ी धारण की ...
... समर - सीह = समर केशरी । तिथ = तीर्थ | :: राजन = राजा , पृथ्वीराज | करत = म्यंटन = भेट | अर्थ : - उसी समय राजा ने कुसुमल पोषाक और पगड़ी धारण की ...
Page 751
... समर सिंघरावर समर , समर भुअन बर चढि || २७३ || शब्दार्थः – श्रसुर = मुसलमान | सम = सामने । कड्ढि = निकाली । समर समर = युद्ध का स्मरण कर ...
... समर सिंघरावर समर , समर भुअन बर चढि || २७३ || शब्दार्थः – श्रसुर = मुसलमान | सम = सामने । कड्ढि = निकाली । समर समर = युद्ध का स्मरण कर ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने