Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 4Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... सूर भर । हनिग राज कयमास , अवनि श्रकंपि वीर वर ' ॥ सर वर संभरि वार , साहि बन्ध्यौ गज्जनवै । हय गय नर भर बीय , सद्धि सामन्त सूर सध्थह ...
... सूर भर । हनिग राज कयमास , अवनि श्रकंपि वीर वर ' ॥ सर वर संभरि वार , साहि बन्ध्यौ गज्जनवै । हय गय नर भर बीय , सद्धि सामन्त सूर सध्थह ...
Page 676
... सूर संभरि धनी , कितक देस दल बंधि | । कितक हथ्थ रन अग्गरौ , हँसि नृप बूझ्यौ चंद || २६६ ।। शब्दार्थ : -सूर = शूरवीर । दल बंधि = पंक्तिबद्ध ...
... सूर संभरि धनी , कितक देस दल बंधि | । कितक हथ्थ रन अग्गरौ , हँसि नृप बूझ्यौ चंद || २६६ ।। शब्दार्थ : -सूर = शूरवीर । दल बंधि = पंक्तिबद्ध ...
Page 732
... सूर सामंत , सूर अंकूर संग्राम धाम घर छत्रियन , परइत पुर गहन मन ॥ पर तर लहै । जंतनि कहै || २३ || समीप श्राकर । चहुआन आन सोमेस सुत्र ...
... सूर सामंत , सूर अंकूर संग्राम धाम घर छत्रियन , परइत पुर गहन मन ॥ पर तर लहै । जंतनि कहै || २३ || समीप श्राकर । चहुआन आन सोमेस सुत्र ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः आप इस इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसा और कन्नौज कर करके करता करना करने करि कवि कवित्त कहने कहा का कारण किन्तु किया की की ओर के लिए के लिये के समान के साथ को गई गये घर चंद जाने जिससे जो तक तथा तब तुम तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देख देव दोनों दोहा द्वारा धीर नहीं ने पंगुराज पति पर पा० पुण्डीर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्राप्त बर बात भर भी मन मुख में मैं यह या युद्ध में रस रहा राज राजस्थान राजा के रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले वीर वीरों वे शत्रु शब्दार्थ शरीर शाह शिव संयोगिता सब समर सामंत सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वामी हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है है कि हैं हो गया होकर होता होने