Cunī huī racanāeṃ |
Contents
एक बुलंद खुदी उर्फ मशहूर नकवेसर का किस्सा 13 200 | 20 |
यशपाल | 31 |
त्रिलोचन | 53 |
Copyright | |
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अपनी अपने अब आज आप आया आयी आये इस उनकी उनके उन्होंने उस उसकी उसके और कई कभी कर करता करते करने कवि कहा कहानी का काम कि किंतु किया किसी की की बात कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गयी गये गाँव घर चाय जब जा जाता जाती जो तक तब तरह तुम तो था थी थे दिन दिया दिल्ली देखा दो दोनों नहीं नाम ने नेपाली पटना पर पहले पास पूछा फिर बहुत बातें बाबू बार बिहार बोले भी मन मामा मुझे में में ही मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रहा था रहा है रही रहे हैं रात लगा लिया लेकर लेकिन लेखक लोग लोगों वह वे शुरू सकता सब सभी समय साल से हम हमारे हर हाथ हिंदी ही ही नहीं हुआ हुई हुए हूँ है है कि हैं हो गया होकर होगा होता होती