Awadh Sanskriti Vishwakosh-2, Volume 2हिन्दी भाषा और सहिया के इतिहास में अवध का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्वानों मे इसे ‘मध्य देश’ कहा है। लंदन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागध्यक्ष डॉ. रूपर्ट स्नेल ने किसी प्रसंग में ठीक ही कहा था कि काशी विध्या कि नगरी है, किन्तु वहाँ लिखी-बोली जा रही खड़ीबोली हिन्दी पर जनपदीय बोलियों का बड़ा प्रभाव है। हिन्दी केन्द्रीय महानगर है, परंतु वहाँ की हिन्दी पंजाबीपन से प्रेरित है। मानक हिन्दी का रूप तो गंगा-यमुना के मैदान अर्थात अन्तर्वेद में प्राप्त होता है। यही कारण है कि हिन्दी के मांकिकरण का आंदोलन आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के माध्यम से यहीं से शुरू हुआ। यह उल्लेखनीय है कि द्विवेदी जी बैसवारा के निवासिथे और ‘सरस्वती’ पत्रिका इलाहाबाद से प्रकाशित होती थी। अवध क्षेत्र को उत्तर वैदिक काल में मध्यप्रदेश तथा ब्रह्मऋषि देश कहा जाता था। यहा रामायण के नायक राम कि लीलाभूमि है। महा जनपद काल के 16 जनपदों में 2 जनपद इसकी सीमाओं से जुड़े थे। यह क्षेत्र मौर्यकाल, गुप्तकाल और हर्षकाल में शक्ति एवं समृद्धि का क्षेत्र रहा है। |
Contents
Section 1 | 7 |
Section 2 | 9 |
Section 3 | 10 |
Section 4 | 22 |
Section 5 | 24 |
Section 6 | 74 |
Section 7 | 79 |
Section 8 | 85 |
Section 17 | 134 |
Section 18 | 135 |
Section 19 | 138 |
Section 20 | 140 |
Section 21 | 145 |
Section 22 | 153 |
Section 23 | 163 |
Section 24 | 164 |
Section 9 | 90 |
Section 10 | 96 |
Section 11 | 103 |
Section 12 | 108 |
Section 13 | 109 |
Section 14 | 112 |
Section 15 | 115 |
Section 16 | 116 |
Section 25 | 173 |
Section 26 | 178 |
Section 27 | 184 |
Section 28 | 188 |
Section 29 | 196 |
Section 30 | 219 |
Section 31 | 247 |
Section 32 | 257 |
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Common terms and phrases
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