The Journal of the Bihar Research Society, Volumes 71-73Bihar Research Society, 1987 - Folk-lore |
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Results 1-3 of 21
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... और नवीन पत्नियां बनाने में रूचि लेने के कारण असगोत्र विवाह की ओर उन्मुख हुई होंगी । वस्तुतः असगोत्र विवाह के विकास में कुछ सीमा तक ...
... और नवीन पत्नियां बनाने में रूचि लेने के कारण असगोत्र विवाह की ओर उन्मुख हुई होंगी । वस्तुतः असगोत्र विवाह के विकास में कुछ सीमा तक ...
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... और चन्द्रमा तारा के अनुकूल हो तथा लग्न से केन्द्र में १ , ४ , ७ और १० वें स्थान में वृहस्पति और हो एवं सुत ( पंचम ) हिबुक ( चतुर्थ ) ...
... और चन्द्रमा तारा के अनुकूल हो तथा लग्न से केन्द्र में १ , ४ , ७ और १० वें स्थान में वृहस्पति और हो एवं सुत ( पंचम ) हिबुक ( चतुर्थ ) ...
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... और समसप्तक ) हो तो ग्रहशत्रुता के दोष को नष्ट करता है । षडष्टक होने पर भी यदि दोनों राशियों के स्वामियों में एकता या मैत्री हो तो ...
... और समसप्तक ) हो तो ग्रहशत्रुता के दोष को नष्ट करता है । षडष्टक होने पर भी यदि दोनों राशियों के स्वामियों में एकता या मैत्री हो तो ...
Contents
THE BIHAR RESEARCH SOCIETY | 1 |
A Study of | 9 |
Significance of Sahasrapradayin | 23 |
3 other sections not shown