Bharat Ke Pracheen Bhasha Pariwar Aur Hindi Bhag-3

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Rajkamal Prakashan, Sep 1, 2008 - Hindi language - 518 pages
भारतीय भाषाओं का आपस में बहुत गहरा रिश्ता है। आर्य, द्रविड़, कोल और नाग, भारत के इन चारों मुख्य भाषा-परिवारों में कई ऐसी भाषाएँ हैं जिन पर बहुत कम बातचीत हुई है, जबकि आधुनिक भारतीय भाषाओं के आपसी सम्बन्धों को जानने के लिए यह कार्य अत्यावश्यक है। दूसरे शब्दों में, आर्य, द्रविड़, कोल और नाग भाषा-परिवारों के अन्तर्गत कम परिचित जितनी भाषाएँ हैं उनका वैज्ञानिक अध्ययन आम प्रचलित भाषाओं के सम्बन्धों की सही पहचान कराने में सक्षम होगा। साथ ही भारतीय भाषा-परिवारों का विश्व के गैर-भारतीय भाषा-परिवारों से क्या सम्बन्ध है, इसकी भी गहरी पहचान सम्भव होगी। भारतीय भाषाओं के वैज्ञानिक अध्ययन के इसी महत्व को रेखांकित करते हुए सुविख्यात समालोचक डॉ. रामविलासजी ने यह कालजयी शोध-कृति प्रस्तुत की थी। तीन खण्डों में प्रकाशित इस ग्रन्थ का यह प्रथम खण्ड है, जिसमें उन्होंने हिन्दीभाषी क्षेत्र की बोलियों का ग्रहन अध्ययन किया, और हिन्दी तथा सम्बद्ध बोलियों के विकास को प्राचीन आर्य कबीलाई भाषाओं के साथ रखा-परखा है। भाषाविज्ञान पर एक अप्रतिम और युगान्तरकारी ग्रन्थ।
 

Contents

Section 1
4
Section 2
5
Section 3
6
Section 4
7
Section 5
9
Section 6
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Section 7
27
Section 8
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Section 19
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Section 20
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Section 21
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Section 23
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Section 24
441
Section 25
454
Section 26
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Section 9
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Section 10
60
Section 11
83
Section 12
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Section 13
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Section 14
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Section 15
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Section 16
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Section 17
262
Section 18
312
Section 27
472
Section 28
474
Section 29
481
Section 30
491
Section 31
499
Section 32
500
Section 33
510
Section 34
514
Section 35
516
Section 36
517

Common terms and phrases

अंग्रेजी अनेक अन्य अर्थ है अवधी आदि इंडोयूरोपियन इन इस इसका इसी उप० उसका और कन्नड़ कर करते करना करने का अर्थ का आधार का एक का पूर्वरूप का रूपान्तर का लोप का व्यवहार का सम्बन्ध कारण किन्तु किया किसी की कुछ के लिए के समान के साथ को कोल क्रिया क्षेत्र ग्रीक जर्मन जहाँ जैसे जो त० तमिल तरह तुलु तेलुगु तो था थे दो दोनों द्र० ध्वनि ध्वनियों नहीं है ने न् पर परिवार पहले पाणिनि प्रकार प्रभाव प्राकृत प्राचीन प्रार्य फ़ारसी बना बहुत बात बाद भारत भारतीय भाषा का भाषा में भाषाएँ भाषाओं के भाषाविज्ञान भिन्न भी मराठी मलयालम मूल में है यह यहाँ या ये रूप रूप में रूपों रूसी र् लैटिन वह वाले विकास वे शब्द शब्दों सं० संस्कृत संस्कृत में सकता है समय से से सम्बद्ध स् हिन्दी हुआ है हुए है और है कि हैं हो होगा होता है होती होना होने

About the author (2008)

डॉ रामविलास शर्मा 10 अक्तूबर सन् 1912 को ग्राम ऊँचगाँव सानी, जिला-उन्नाव (उत्तर प्रदेश) में जन्मे रामविलास शर्मा ने 1932 में बी.ए., 1934 में एम.ए. (अंग्रेजी), 1938 में पी. एच. डी. (लखनऊ विश्वविद्यालय) की उपाधि प्राप्त की ! लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में पाँच वर्ष तक अध्यापन-कार्य किया ! सन 1943 से 1971 तक आगरा के बलवंत राजपूत कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष रहे ! बाद में आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति के अनुरोध पर के.एम. हिन्दी विद्यापीठ के निदेशक का कार्यभार स्वीकार किया और 1974 में अवकाश लिया। सन 1949 से 1953 तक रामविलासजी अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के महामंत्री रहे ! देशभक्ति तथा मार्क्सवादी चेतना रामविलास जी की आलोचना की केन्द्र-बिन्दु है। उनकी लेखनी से वाल्मीकि तथा कालिदास से लेकर मुक्तिबोध तक की रचनाओं का मूल्यांकन प्रगतिवादी चेतना के आधार हुआ। उन्हें न केवल प्रगति-विरोधी हिन्दी-आलोचना की कला एवं साहित्य-विषयक भ्रान्तियों के निवारण का श्रेय है, वरन् स्वयं प्रगतिवादी आलोचना द्वारा उत्पन्न अन्तर्विरोधों के उन्मूलन का गौरव भी प्राप्त है। साहित्य अकादेमी का पुरस्कार तथा हिन्दी अकादेमी, दिल्ली का शताब्दी सम्मान से सम्मानित। देहावसान: 30 मई, 2000।

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