Samarnanjaliयुगदृष्टा रामधारी सिंह दिनकर अपने समकालीनों की चर्चा करना बहुत नाजुक काम मानते थे, लेकिन समकालीनों पर लिखने पर उनको सुखद अनुभूति भी होती थी । स्मरणांजलि दिनकर जी के मित्रों और समकालीन महापुरुषों, जिन्होंने उनके हृदय पर अमिट छाप छोड़ी, के विषय में निबन्/ाों और यात्रा–संस्मरणों की अनूठी कृति है । इस पुस्तक में देश के प्रख्यात विद्वानों–साहित्यकारों और राजनेताओं के अन्तरंग जीवन की झाँकियाँ हैं तथा उनके अनजाने रूप, देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले प्रसंगों और उन मानवीय गुणों का भी इसमें उद्घाटन हुआ है जिन्होंने इन विभूतियों को सबका श्रद्धास्पद बना दिया । यह पुस्तक जहाँ एक तरफµराजर्षि टंडन, राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, स्वर्गीय राजेन्द्र बाबू, काका साहब कालेलकर, डॉ– सर्वपल्ली राधाकृष्णन्, स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री, स्वर्गीय लोहिया साहब, स्वर्गीय डॉ– जाकिर हुसेन, स्वर्गीय डॉ– श्रीकृष्ण सिंह, पुण्यश्लोक जायसवाल, श्री राहुल सांकृत्यायन, पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी, आचार्य रघुवीर, पंडित किशोरीदास बाजपेयी, आचार्य शिवपूजन सहाय, स्वर्गीय बेनीपुरी, डॉ– लक्ष्मीनारायण ‘सुधंाशु’, पंडित बंशीधर विद्यालंकार, स्वर्गीय नलिन, स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, निराला, पंडित सुमित्रानन्दन पन्त, श्रीमती महादेवी वर्मा, पंडित बालवृ़ष्ण शर्मा नवीन, हरिवंश राय बच्चनµइन विभूतियों का परिचय देती है वहीं राष्ट्रकवि दिनकर जी की यूरोप–यात्रा, जर्मनी–यात्रा, चीन यात्रा, मॉरिशस यात्रा का रोचक वर्णन करती है । संस्मरणात्मक निबन्/ाों और महत्त्वपूर्ण यात्रा–वृत्तान्तों से सुसज्जित, सरस भाषा–शैली में लिखित यह पुस्तक अमूल्य है । |
Contents
Section 1 | 5 |
Section 2 | 6 |
Section 3 | 11 |
Section 4 | 13 |
Section 5 | 21 |
Section 6 | 35 |
Section 7 | 48 |
Section 8 | 53 |
Section 16 | 134 |
Section 17 | 147 |
Section 18 | 159 |
Section 19 | 164 |
Section 20 | 168 |
Section 21 | 174 |
Section 22 | 178 |
Section 23 | 191 |
Section 9 | 62 |
Section 10 | 67 |
Section 11 | 79 |
Section 12 | 98 |
Section 13 | 114 |
Section 14 | 118 |
Section 15 | 131 |
Section 24 | 207 |
Section 25 | 216 |
Section 26 | 219 |
Section 27 | 225 |
Section 28 | 242 |
Section 29 | 269 |
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Common terms and phrases
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