गुनाहों का देवताBhāratīya Jñānapīṭha, 1960 - 381 pages |
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अगर अच्छा अपना अपनी अपने अब अभी अरे आई आज आप आया आये इतना इतनी इस उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक ओर और कपूर कभी कर करती कहा कि किया की कुछ के कोई क्या क्यों गई गया था गये चन्दर चन्दरने चली चाय चुपचाप जब जा जाने जैसे जो ठीक डाक्टर तक तब तरह तुम तुमने तुम्हारे तुम्हें तो था कि थीं थे दिन दिया दी दे देखा देर दो नहीं पम्मी पर पहले पास पूछा प्यार फिर बड़ी बहुत बात बाद बिनती बिनतीने बैठ बोला बोली भी भी नहीं मत मन मनमें मालूम मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या ये रख रहा था रही थी रही है रहे लगा लगी लिए लिया ले लेकिन लो वह सब साथ सुधा सुधाने से हम हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए कहा हूँ है और है कि हैं हो गई हो गया होगा होता