Mahaveer Prasad Dwivedi Aur Hindi Navjagaranद्विवेदी जी ने अपने साहित्यिक जीवन में सबसे पहले अर्थशास्त्र का गहन अध्ययन किया और बड़ी मेहनत से 'संपत्ति शास्त्र' नामक पुस्तक लिखी ! इसीलिए द्विवेदी जी बहुत-से ऐसे विषयों पर टिप्पणियाँ लिख सके जो विशुद्ध साहित्य की सीमाएँ लाँघ जाति हैं ! इसके साथ उन्होंने राजनीतिक विषयों का अध्ययन किया और संसार में हो रही राजनीतिक घटनाओं पर लेख लिखे ! राजनीति और अर्थशास्त्र के साथ उन्होंने आधुनिक विज्ञानं से परिचय प्राप्त किया और इतिहास तथा समाजशास्त्र का अध्ययन गहराई से किया ! इसके साथ भारत के प्राचीन दर्शन और विज्ञानं की ओर ध्यान दिया और यह जानने का प्रयत्न किया कि हम अपने चिंतन में कहाँ आगे बढे और कहाँ पिछड़े हैं ! परिणाम यह हुआ कि हिंदी प्रदेश में नवीन सामाजिक चेतना के प्रसार के लिए वह सबसे उपयुक्त व्यक्ति सिद्ध हुए ! उनके कार्य का मूल्याङ्कन व्यापक हिंदी नवजागरण के सन्दर्भ में ही संभव है ! डॉ. रामविलास शर्मा द्वारा रचित इस कालजयी पुस्तक के पांच भाग हैं ! पहले भाग में भारत और साम्राज्यवाद के सम्बन्ध में द्विवेदी जी ने और 'सरस्वती' के लेखकों ने जो कुछ कहा है, उसका विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है ! दूसरे भाग में रूढ़ीवाद से संघर्ष, वैज्ञानिक चेतना के प्रसार और प्राचीन दार्शनिक चिंतन के मूल्याङ्कन का विवेचन है ! तीसरे भाग में भाषा-समस्या को लेकर द्विवेदी जी ने जो कुछ लिखा है, उसकी छानबीन की गई है ! चौथे भाग में साहित्य-सम्बन्धी आलोचना का परिचय दिया गया है ! पांचवे भाग में द्विवेदी-युग के साहित्य की कुछ विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है ! बहुत-सी समस्याएँ जो द्विवेदी जी के समय में थीं, आज भी विद्यमान हैं ! इसीलिए आज के संदर्भ में भी इस पुस्तक की सार्थकता और उपयोगिता अक्षुण्ण है ! |
Contents
Section 1 | 5 |
Section 2 | 9 |
Section 3 | 21 |
Section 4 | 48 |
Section 5 | 105 |
Section 6 | 107 |
Section 7 | 179 |
Section 8 | 181 |
Section 10 | 199 |
Section 11 | 226 |
Section 12 | 270 |
Section 13 | 350 |
Section 14 | 352 |
Section 15 | 393 |
Section 16 | 398 |
Section 17 | 401 |
Section 9 | 189 |
Section 18 | |
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Common terms and phrases
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