Goladhayaya

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Motilal Banarsidass Publishe, 2004
 

Contents

Section 1
1
Section 2
7
Section 3
18
Section 4
30
Section 5
58
Section 6
62
Section 7
1
Section 8
13
Section 17
227
Section 18
272
Section 19
273
Section 20
287
Section 21
295
Section 22
325
Section 23
344
Section 24
382

Section 9
51
Section 10
59
Section 11
83
Section 12
111
Section 13
126
Section 14
146
Section 15
152
Section 16
198
Section 25
402
Section 26
413
Section 27
414
Section 28
466
Section 29
474
Section 30
495
Section 31
524
Section 32
601

Common terms and phrases

१२ १५ अतः अत्र अथ अनेक अन्तर अन्यथा अपने अर्थात् आचार्य आह इति इत्यादि इष्ट इस प्रकार उक्त उत्तर उस एक एवं और कथं कर करने कला कहा का नाम काल किया की के के साथ केदारदत्तः केन्द्र को क्रान्ति क्षितिज गणित गणेश गति गया है गोल ग्रन्थ ग्रह ग्रहों चन्द्र चाप चाहिए जा जाता है जो ज्ञान ज्या तक तत्र तथा च तस्य तु तुल्य तो त्रिज्या दर्शन दिन दोनों ध्रुव नक्षत्र ननु नहीं ने पर पूर्व पृथ्वी फल बिन्दु ब्रह्म भवति भाग भारत भावः भास्कराचार्य भी मरीचिः मान मूल में यत्र यथा यदि यह यहाँ या ये योग रचना रहा राशि रूप रेखा वर्ग वा वा० भा० वाच्यम् वृत्त शीघ्र श्री संख्या समय संस्कृत सा साधन सिद्धान्त सूत्र सूर्य से स्थान स्थिति स्पष्ट स्यात् हि ही हैं है कि हो होता है होती होने से

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