भक्तिकाव्य से साक्षात्कार

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Bhāratīya Jñānapīṭha, 2007 - Hindi poetry - 398 pages
Study on medieval Hindi religious poetry; covers the period. 14th-16th century.

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Contents

प्रस्तावना
9
एक जीवनदर्शन
31
सुमिरन करै सु सास्तर बुधि उपजै सो वेद
68
Copyright

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Common terms and phrases

अपनी अपने अर्थ आचार्य आज आदि इन इस इसी इस्लाम उनकी उनके उन्होंने उस एक ऐसा कबीर कबीर के कर करते हैं करने कवि कहा का कारण काव्य किया है की कुछ कृष्ण के लिए के साथ को कोई क्या गया है गयी गये चिन्तन जनता जा जाता है जायसी जिसमें जी जीवन जो ज्ञान तक तथा तरह तुलसी तुलसीदास तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देश दोनों धर्म ध्यान नहीं है नाम ने पर परम्परा पुराण पूरी प्रेम फिर बहुत बात ब्रज भक्त भक्ति भारत भारतीय भाव भी भीतर मन महाभारत मानस मीरा मुसलमान में यह यहाँ यही या रस रसखान रहा है रही रहीम रहे हैं राधा राम रामचरितमानस रामायण रास लिया लीला लेकर लेकिन लोक वह विचार विष्णु वे वैष्णव शक्ति शिव शुक्ल संस्कृति सकता है सन्त सभी समय समाज साहित्य सूरदास से हम हिन्दी ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो

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