आयुर्वेद एवं एलोपैथी : एक तुलनात्मक विवेचन: देश की स्वास्थ्य की समस्या का वास्तविक समाधान

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Notion Press, May 31, 2018 - Medical - 152 pages

जीवनशैली रोग जैसे ब्लड-प्रेशर, कोलेस्ट्राल, डायबिटीज, ह्रदय-रोग व थायरायड आदि का इलाज, बिना जीवनशैली ठीक किये, हानि कारक साइड-इफैक्ट यक्तु रसायनिक दवाओंके सारे जीवन निरंतर प्रयोग के माध्यम से किये जाने का आधुनि क चिकित्सा विज्ञान द्वारा दिया जाने वाला आश्वासन एक बड़े से बड़ा धोखा है तथा बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों द्वारा मुनाफे के लालच में फैलाया गया दुष्प्रचार है । संपूर्ण आधुनिक चिकित्सा विज्ञान एक आपदा प्रबंधन मात्र है जिसको व्यक्तिगत स्वार्थ एवं व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये मानवजाति के दैनिक जीवन पर थोप दिया गया जिसके परिणामस्व रूप स्वास्थ्य के क्षेत्र में हाहाकार मच गया । विचार की बात है कि सड़क दरु्घट नाओं के इलाज के लिए अगर पर्याप्त मात्रा में ट्रामा कें द्रबन गये हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि अब यातायात के नियमों के पालन की कोई

आवश्यकता नहीं है ? अगर उच्च-तकनीक शल्य क्रियाएं उपलब्ध हो गई हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि अब स्वास्थ्य रक्षा के नियमों के पालन की कोई आवश्यकता नहीं है ? याद रखें ! कमाण्डोस आतंकवाद का आपदा प्रबंधन मात्र है आतंकवाद की समस्या का समाधान नहीं । आतंकवाद की समस्या का समाधान तो सीमाओं की सरुक्षा है । अगर सीमाओंकी सरुक्षा ठीक हो तो कमाण्डोस की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी । आधनिु क चिकित्सा विज्ञान स्वास्थ्य के क्षेत्र में कमाण्डोस की तरह है और आयुर्वेद सीमा सुरक्षा बल । अगर पति -पत्नी के दैनि क झगड़ों में कमाण्डोस आयेंगे तो बरबादी के सिवा कुछ ना होगा । स्वास्थ्य के क्षेत्र में यही हुआ ।

 

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Section 19
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Section 10
Section 11
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Common terms and phrases

अंग अति अधिक अनेक अपने अमेरिका अर्थात आ.चि.वि आज आदि आधुनिक चिकित्सा आयुर्वेद आयुर्वेद के आवश्यकता इन इलाज इस उद्देश्य एक एन्टीबायोटिक्स एलोपैथी एवं और कंपनियों कम कर करना करने किया किसी कुछ के अनुसार के कारण के माध्यम से के लिए को कोई क्या गई गया चिकित्सा के चिकित्सा पद्धति जब जा जाता है जाने जीवन जीवनशैली जैसे जो तक तो था दवा दवाओं के दिया देश द्वारा नहीं वरन नहीं है ना ने पर परंतु पूर्ण प्रकार प्रयोग ब्रह्मचर्य भारत भारतीय भी महत्वपूर्ण महान मात्र मानव मानवजाति को मानवों मानसिक मूल में मोक्ष यह यही या रहा है रहे रूप से रोग रोगों का लगभग लिये वर्ष वह वाली वाले वास्तविक विकास विज्ञान विश्व विश्व स्वास्थ्य संगठन शरीर शल्यक्रिया सकता सभी समय समस्त स्थान स्थिति स्वयं स्वस्थ स्वास्थ्य की हम हानिकारक ही नहीं हुआ हुई है कि है तथा हैं हो होगा होता है होती होना होने

About the author (2018)

डा. संजय जैन, एम एस ऑर्थो, भूतपूर्व फैलो ‘ए ओ इन्टरनेशनल’, स्विट्ज़रलैण्ड, एक पश्चिमी उत्तर

प्रदेश के वरिष्ठ हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ हैं । वह विवाहित हैं तथा उनका एकमात्र पुत्र अखिल

भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान से ‘एम बी बी एस’ का कोर्स कर रहा है । स्वयं आधुनिक तकनीक

से रोगों के इलाज में संलग्न रहने के बावजूद भी लेखक का आध्यात्मि क अंतःकरण इस तथ्य को नजर

अंदाज नहीं कर पाया कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के जादुई विकास के बावजूद मानवजाति का

स्वास्थ्य रसातल में जा रहा है । उच्च तकनीक शल्यक् रियाओंजैसे जोड़ बदलना, गर्दा प्रत्यारोपण तथा

ह्रदय की एन्जि योप्लास्टी आदि को समस्या का समाधान बताया जा रहा है जबकि वास्तव में यह तो मात्र आपदा प्रबंधन है । आधुनिक चिकित्सा विज्ञा न आपदा रोकने में पूर्ण रूप से वि फल ही नहीं रहा है वरन् आपदाएं एवं देश के रोग भार बढ़ने का एक अति महत्वपूर्ण कारण सिद्ध हुआ है ।

मानवजाति के वास्तवि क हि त में क्या है, इस सत्य की खोज लेखक को भारतीय चिकि त्सा पद्धति एवं जीवन के संपूर्ण विज्ञा न

आयुर्वेद तक ले गई । आयुर्वेद के अल्प अध्ययन के बाद ही लेखक यह जानकर आश्चर्यचकि त रह गया कि मानवजाति के पूर्ण

स्वास्थ्य एवं खुशहाली का मार्ग तो कुछ और ही है ।

लेखक की मानवजाति के वास्तवि क हि त की भावना एवं वर् षों के अध्ययन का ही परिणाम यह पुस्त क है ।

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