Mahamatya ChankayaDiamond Pocket Books (P) Ltd. - 144 pages |
Contents
बाल्यकाल | 9 |
चाणक्य की शपथ | 22 |
चन्द्रगुप्त की खोज की खोज | 36 |
मगध में वसन्त उत्सव | 60 |
सिन्धु के उस पार सिकन्दर | 74 |
सिकन्दर और पर्वतेश्वर का युद्ध | 90 |
नन्द राज्य की समाप्ति | 112 |
शिखा बन्धन | 137 |
Common terms and phrases
अपना अपनी अपने अब अभी अलका आचार्य चाणक्य आज आप आम्भीक इस इसलिए उन्हें उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक ओर करके करता करते हुए करना करने कह कहां का कात्यायन कि किया किसी की कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्यों क्योंकि गई गए गांधार चन्द्रगुप्त चन्द्रगुप्त ने चाणक्य चाणक्य ने जब जा जो तक तक्षशिला तभी तरह तुम तुमने तुम्हारे तुम्हें तो था कि थी नन्द के नहीं ने ने कहा पर पर्वतेश्वर पहले पिता पुत्र फिर बात बालक ब्राह्मण भारत भी मगध मन महाराज नन्द मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहां यही युद्ध ये रहा था रहा है रही रहे थे रहे हो राक्षस राजा राज्य लिया लेकिन वह वे शकटार सकता समय सम्राट सिंहरण सिकन्दर सुवासिनी से सेना सेनापति स्वयं हम हाथ ही हुआ हुई हुए हूं है और है कि हैं होकर होगा होता होने