'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of Harivansh Rai Bachchan (Part 4) |
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अब फलां पात्र स्टेज पर आया होगा ! . . अब मुझे
आना था । अब मुझे ऐसा बोलना था । अब फलाँ
पात्र को ऐसा करना था और मुझे यह करना था ,
वगैरह ...
अब फलां पात्र स्टेज पर आया होगा ! . . अब मुझे
आना था । अब मुझे ऐसा बोलना था । अब फलाँ
पात्र को ऐसा करना था और मुझे यह करना था ,
वगैरह ...
Page 330
मन कहता था अभिव्यक्ति के इस माध्यम से अब
छुट्टी लो । अपनी कविताओं के अंतिम संकलन को
नाम मैंने ' जाल समेटा दे दिया । नाम सोचने में
...
मन कहता था अभिव्यक्ति के इस माध्यम से अब
छुट्टी लो । अपनी कविताओं के अंतिम संकलन को
नाम मैंने ' जाल समेटा दे दिया । नाम सोचने में
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Page 460
और अब लौट चलें सेंट कैथ - अपने कालेज । वह
दूसरी मंजिल पर कोने में जो खिड़की दिखाई
देती है वह उस कमरे की है जिसमें डा० हेन की
स्टडी ...
और अब लौट चलें सेंट कैथ - अपने कालेज । वह
दूसरी मंजिल पर कोने में जो खिड़की दिखाई
देती है वह उस कमरे की है जिसमें डा० हेन की
स्टडी ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया गया दिल्ली दी दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बड़ा बड़ी बहुत बात बार भी मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रही रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हमें हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता होती होने