'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of Harivansh Rai Bachchan (Part 4) |
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Page 153
तुलसीदास और गालिब उनके प्रिय कवि थे - - - '
गालिब - उग्र ' नाम से उन्होंने गालिब की
गजलों का एक संग्रह अपनी ' टीका ' के साथ
निकलवाया था ...
तुलसीदास और गालिब उनके प्रिय कवि थे - - - '
गालिब - उग्र ' नाम से उन्होंने गालिब की
गजलों का एक संग्रह अपनी ' टीका ' के साथ
निकलवाया था ...
Page 308
उनका भी काम - धंधा उन दिनों मंदा चल रहा था और
वे काफ़ी चिंतित थे । इसी ... उद्योगपति मित्र
की मान्यता थी कि उनके व्यापार में जो कुछ ...
उनका भी काम - धंधा उन दिनों मंदा चल रहा था और
वे काफ़ी चिंतित थे । इसी ... उद्योगपति मित्र
की मान्यता थी कि उनके व्यापार में जो कुछ ...
Page 312
उनकी वह जिल्दबंधी कापी मेरे पास है - उनकी
एकमात्र निशानी । ... उनके दो ही शौक थे , पढ़ने
का और घूमने का - घर पर हैं तो कोई किताब पढ़
रहे ...
उनकी वह जिल्दबंधी कापी मेरे पास है - उनकी
एकमात्र निशानी । ... उनके दो ही शौक थे , पढ़ने
का और घूमने का - घर पर हैं तो कोई किताब पढ़
रहे ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया गया दिल्ली दी दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बड़ा बड़ी बहुत बात बार भी मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रही रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हमें हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता होती होने