'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of Harivansh Rai Bachchan (Part 4) |
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हम तो रमते राम हमारा क्या घर ? क्या दर ? कसा
वेतन ? ' व्यावहारिक संसार ऐसे लोगों को
विक्षिप्त या सिरफिरा समझता है , कहता भी है ,
पर ये ...
हम तो रमते राम हमारा क्या घर ? क्या दर ? कसा
वेतन ? ' व्यावहारिक संसार ऐसे लोगों को
विक्षिप्त या सिरफिरा समझता है , कहता भी है ,
पर ये ...
Page 192
क्या हमारी मनोशिराओं में इन शैल - शिखरों की
स्मृतियाँ अब भी स्फुरित होती और हमें
प्रेरित करती हैं कि हम उन्हें अपनी
दंतकथाओं से ...
क्या हमारी मनोशिराओं में इन शैल - शिखरों की
स्मृतियाँ अब भी स्फुरित होती और हमें
प्रेरित करती हैं कि हम उन्हें अपनी
दंतकथाओं से ...
Page 296
उधर उनकी दुविधा होगी : अंगड़ - खंगड़ मोह सभी
से _ _ क्या बाँचूं , क्या छोड़ रे । क्या लादूं ,
क्या छोड़ रे । कण - कण करके माया जोड़ी ...
उधर उनकी दुविधा होगी : अंगड़ - खंगड़ मोह सभी
से _ _ क्या बाँचूं , क्या छोड़ रे । क्या लादूं ,
क्या छोड़ रे । कण - कण करके माया जोड़ी ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया गया दिल्ली दी दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बड़ा बड़ी बहुत बात बार भी मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रही रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हमें हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता होती होने