'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of a Hindi poet; covers the period, 1956-1983 |
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Page 86
कि नाटक सफल था, विशेषकर तेजी ने अपने कथोपकथन की अवधी ऐसे
स्वाभाविक लहरे में बोली कि दर्शकों ने समझा कि गांव की
किसी ठकुराइन ही से यह पार्ट कराया गया है । नाटक समाप्त हुआ
तो ...
कि नाटक सफल था, विशेषकर तेजी ने अपने कथोपकथन की अवधी ऐसे
स्वाभाविक लहरे में बोली कि दर्शकों ने समझा कि गांव की
किसी ठकुराइन ही से यह पार्ट कराया गया है । नाटक समाप्त हुआ
तो ...
Page 91
इधर तेजी ने भी अपनी शामों के लिए कुछ शुगल निकाल लिया था : '
सवेरा' की " के विदा होने के बाद कुछ अरसे तो जरूर उनके दिन फिर
खाली खाली, उदास-उदास बीतने लगे थे । पर मुझे यह देखकर खुशी ...
इधर तेजी ने भी अपनी शामों के लिए कुछ शुगल निकाल लिया था : '
सवेरा' की " के विदा होने के बाद कुछ अरसे तो जरूर उनके दिन फिर
खाली खाली, उदास-उदास बीतने लगे थे । पर मुझे यह देखकर खुशी ...
Page 369
म यर के अतिरिक्त गुसथी के सौ तरह के काम देखती है तेजी की
हालत जादी न सुधरी । इस बार लगा, डा० करीली की दवा भी नहीं लग
रही है : घर में पतन लग गया था : बेटे दिन-प्रतिदिन तेजी का हाल
लेते ...
म यर के अतिरिक्त गुसथी के सौ तरह के काम देखती है तेजी की
हालत जादी न सुधरी । इस बार लगा, डा० करीली की दवा भी नहीं लग
रही है : घर में पतन लग गया था : बेटे दिन-प्रतिदिन तेजी का हाल
लेते ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इलाहाबाद इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया दिल्ली दी दे दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बंबई बडी बहुत बात बार भारत भी मकान मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं होगा होता होती होने