'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of Harivansh Rai Bachchan (Part 4) |
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जनवरी और फरवरी की बहुत - बहुत ठंडी शामों में
जब सत्येन्द्र जल्दी आ जाते तो हम साथ चाय
पीते , देर से आते तो कभी मैं उनको साथ खाना ...
जनवरी और फरवरी की बहुत - बहुत ठंडी शामों में
जब सत्येन्द्र जल्दी आ जाते तो हम साथ चाय
पीते , देर से आते तो कभी मैं उनको साथ खाना ...
Page 295
कमरे बहुत बड़े नहीं थे । दिल्ली के सामान को
सोचता तो घबराहट होती , कैसे वहाँ का सारा
सामान यहां आ - समा सकेगा । बहुत कुछ वहीं
छोड़ ...
कमरे बहुत बड़े नहीं थे । दिल्ली के सामान को
सोचता तो घबराहट होती , कैसे वहाँ का सारा
सामान यहां आ - समा सकेगा । बहुत कुछ वहीं
छोड़ ...
Page 338
जैसा जामाता पाने पर आपको मेरी बहुत - बहुत
बधाई ! ' _ _ _ मेरी प्रत्याशा थी कि उत्तर में वे
कहेंगे , ' जया जैसी पुत्रवधू पाने पर आपको
मेरी ...
जैसा जामाता पाने पर आपको मेरी बहुत - बहुत
बधाई ! ' _ _ _ मेरी प्रत्याशा थी कि उत्तर में वे
कहेंगे , ' जया जैसी पुत्रवधू पाने पर आपको
मेरी ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया गया दिल्ली दी दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बड़ा बड़ी बहुत बात बार भी मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रही रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हमें हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता होती होने