'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of Harivansh Rai Bachchan (Part 4) |
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Page 92
उस दिन तेजी बहन की आवाज़ हमने सुनी थी -
गुस्से में आदमी क्या - क्या बक जाता है - वह कह
रही थीं मैं तलाक लेकर रहूंगी । ' मैंने कहा , '
अरे ...
उस दिन तेजी बहन की आवाज़ हमने सुनी थी -
गुस्से में आदमी क्या - क्या बक जाता है - वह कह
रही थीं मैं तलाक लेकर रहूंगी । ' मैंने कहा , '
अरे ...
Page 369
बच्चन. के अतिरिक्त ग्रहस्थी के सी तरह के
काम देखती । तेजी की हालत जल्दी न सुधरी । इस
बार लगा , डा० करौली की दवा भी नहीं लग रही है ।
बच्चन. के अतिरिक्त ग्रहस्थी के सी तरह के
काम देखती । तेजी की हालत जल्दी न सुधरी । इस
बार लगा , डा० करौली की दवा भी नहीं लग रही है ।
Page 457
एक - एक के पांवों की आहट पहचानता था — यह ओदेत
दबे पाँवों , पंजों के बल ऊपर आ रही है , यह
वज़ां और कोभे खिखिलाती खटर - खटर नीचे उतर
रही ...
एक - एक के पांवों की आहट पहचानता था — यह ओदेत
दबे पाँवों , पंजों के बल ऊपर आ रही है , यह
वज़ां और कोभे खिखिलाती खटर - खटर नीचे उतर
रही ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया गया दिल्ली दी दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बड़ा बड़ी बहुत बात बार भी मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रही रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हमें हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता होती होने