'दशद्वार' से 'सोपान' तकAutobiography of Harivansh Rai Bachchan (Part 4) |
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Page 174
उस समय की एकमात्र पहचान , जो अब भी थी , वह थी
फ्रांस की शराब और इत्रों के नमूने
प्रदर्शित करनेवाली जगह - जगह शीशे की
आलमारियां !
उस समय की एकमात्र पहचान , जो अब भी थी , वह थी
फ्रांस की शराब और इत्रों के नमूने
प्रदर्शित करनेवाली जगह - जगह शीशे की
आलमारियां !
Page 277
कोई अजनबी बंगले में पांव भर रखे , वह भूक -
मंककर सारा घर सिर पर उठा लेती थी ।
पोस्टमनपुलिस की खाकी वरदी से उसे खास
नफ़रत थी - उन्हें ...
कोई अजनबी बंगले में पांव भर रखे , वह भूक -
मंककर सारा घर सिर पर उठा लेती थी ।
पोस्टमनपुलिस की खाकी वरदी से उसे खास
नफ़रत थी - उन्हें ...
Page 468
इंग्लैंड से मोटर मिकेनिज्म में
प्रशिक्षित हो जब वह लौटा था , बहुत बदल गया
था , सृजन की कल्पना उसकी आँखों में थी और हाथ
श्रम - लगन के ...
इंग्लैंड से मोटर मिकेनिज्म में
प्रशिक्षित हो जब वह लौटा था , बहुत बदल गया
था , सृजन की कल्पना उसकी आँखों में थी और हाथ
श्रम - लगन के ...
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अंग्रेजी अगर अधिक अनुवाद अपना अपनी अपने अब अमिताभ आए आप इस उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसे एक ऐसा ओर और कई कभी कम कर करते करना करने कविता कहा कहीं का काम किया था किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या गई गए गया था घर जब जा जाती जाने जी जीवन जो तक तब तरह तेजी तो था कि थी थीं थे दिन दिया गया दिल्ली दी दो दोनों नहीं नाम ने पंडित पर पहले पास प्रति फिर बड़ा बड़ी बहुत बात बार भी मन मुझे में में भी मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या याद रहा रही रहे रूप में लगा लिया ले लोग वर्ष वह वहाँ वे शायद सकता सब समय सामने से हम हमारे हमें हिंदी ही हुआ हुई हुए हूँ है और है कि हैं हो होगा होता होती होने