Rahasyavādī Jaina Apabhraṃśa kāvya kā Hindī para prabhāvaOn Jaina mystic poetry in Apabhraṃśa language and its influence on Hindi poetry. |
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Rahasyavādī Jaina Apabhraṃśa kāvya kā Hindī para prabhāva Premacandra Jaina No preview available - 1991 |
Common terms and phrases
अतः अथवा अनेक अपने अपभ्रंश अर्थात् आत्मा आत्मा के आदि इन इस प्रकार इसी उक्त उस उसके ऋषभदेव एक कबीर कर करता है करते करना करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं कहा का कारण काव्य किया है किसी की कुछ के लिए के विषय में केशी को कोई गई गया है गुरु चाहिए जब जा सकता जाती जीव जैन अपभ्रंश जैन धर्म जो ज्ञान डॉ० तक तथा तो था थी थे दर्शन दो दोनों दोहा द्वारा नहीं नहीं है नाम ने पद पर परन्तु परमात्मप्रकाश परमात्मा पूर्ण पृ० प्रभाव प्राप्त प्रेम बनारसीदास बात ब्रह्म भी भेद मन माना मुनि रामसिंह में भी मैं मोक्ष यह यहां या रचना रहस्यवाद राम रूप में लिखा वह वही वाले वे वेद शब्द शरीर शिव सं० संसार सकता है सब सभी समान सम्प्रदाय साहित्य से सो स्वरूप हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुए है और है कि होता है होती होने