Arvind Sahaj Samantar Kosh

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Rajkamal Prakashan, Jan 1, 2006 - Hindi language - 1011 pages
‘अरविंद सहज समांतर कोश’ शब्दकोश भी है और थिसारस भी! किसी भी समर्थ भाषा की समृद्धि का सूचक उसका शब्दकोश होता है। जहाँ भाषा की शब्द-संपदा को वैज्ञानिक विधि से व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस दृष्टि से यह कोश अपनी तरह का पहला ऐसा शब्द-भंडार है जो प्रकृति से तो थिसारस है किंतु जिसका विन्यास कोशों की तरह हुआ है - अकारादि क्रम में। शब्दों के अर्थ बताने के साथ-साथ अर्थों के शब्द खोजने में भी सक्षम इस कोश में शब्दों के पर्याय, सपर्याय और विपर्याय भी सम्मिलित हैं जिसके कारण दावे के साथ कहा जा सकता है कि यह कोश अपने आपमें आवश्यक शब्द-सूचनाओं से भरपूर एक संपूर्ण ज्ञान-विज्ञान कोश की विशेषताएँ समेटे हुए है। अपने स्वरूप में यह शब्दार्थ कोश, समांतर कोश और ‘इंडेक्स’ की विशेषताओं संबद्ध और विपरीत शब्दों के क्रौस रेफरेंस तलाशे जा सकते हैं और इस कोश में मुहावरों और प्रचलित वाक्यांशों का भी खजाना है। इस कोश में भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शब्दमालिका को उतना ही महत्त्व दिया गया है जितना कि बदलते परिवेश में अद्युनातन प्रामाणिक शब्दावली को। इस कोश में अठहत्तर हजारे नौ सौ पंचानवे चुनी हुई अभिव्यक्तियों सहित पौने पाँच लाख से भी अधिक शब्द हैं, पर्याय और संबद्ध शब्दों के संकेतकों के साथ, अर्थात् यह कोश भाषा को वास्तविक ढंग से परिपुष्ट करने वाले हर तरह के तत्त्वों को समेटे हुए है। सटीक शब्द के चुनाव, किस संदर्भ के लिए कौन-सा शब्द उचित रहेगा या किसी अवधारणा को किस पारिभाषिक शब्द में अभिव्यक्त किया जा सकता है, आदि के लिए यह कोश समर्थ सहायक सिद्ध होगा।
 

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अँगरेजी अंत अंतिम अच्छा अच्छी अज्ञात अधिक अधिकार अनाज अपराध अब अभी अर्थ अलंकार अवस्था अस्पष्ट आँख आंतरिक आकाश आदि आधार आना आम आरंभ आरंभिक आहार इस ईद ईश्वर ईसा ईसाई धर्म उँगली उत्तम उत्तर ऊपर ऊर्जा एक ओर और औषध कंप्यूटर कठिन कठोर कथा कभी कम कर करना करने कर्ता कर्म कर्मचारी कहानी का काम कार्य काल काला किसी की कुछ कुलीन कृष्ण के के बाद को कोयला कोश क्रम क्रि क्रिवि क्षेत्र खंड खेल खोज गुप्त ग्रह घर चक्र चार चाल चिह्न जन जाना जैसा जैसे ज्ञान तक दिन दिवस दिशा देना दो धर्म नदी नहीं नाम पत्र पर परिवार पर्वत पूर्व प्रवेश प्रा प्रेम फल बात बार बुरा बुरी भवन भारत भाव भाषा भी भूमि मन में यह यात्रा रोग लिए लेना वर्ण वर्तमान वस्तु वाला वि विकल्प विचित्र व्यक्ति शब्द सं संस्कार समय सहज साथ सुंदर स्त्री सूची से स्थान हिंदी ही है हैं होना

About the author (2006)

जन्म: मेरठ, 1930। शिक्षा: एम.ए. अंग्रेजी। 1945 से हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता से जुड़े हैं। आरम्भ में दिल्ली प्रेस की सरिता, कैरेवान, मुक्ता आदि पत्रिकाएँ। 1963-78 मुम्बई से टाइम्स ऑफ इंडिया की पाक्षिक पत्रिका माधुरी का समारंभ और संपादन। 1978 में समांतर कोश पर काम करने के लिए वहाँ से स्वेच्छया मुक्त होकर दिल्ली चले आए। बीच में 1980 से 1985 तक रीडर्स डाइजेस्ट के हिंदी संस्करण सर्वोत्तम का समारंभ और संपादन। एक बार फिर पूरे दिन समांतर कोश पर काम। समांतर कोश का प्रकाशन 1996 में हुआ। उसके बाद से द्विभाषी हिंदी-भाषी डाटाबेस बनाने में व्यस्त। इसमें सक्रिय सहयोगी हैं पत्नी कुसुम कुमार, अनेक फुटकर कविताएँ, लेख, कहानियाँ, चित्र, नाटक, फ़िल्म समीक्षाएँ...

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