Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... उस समय ऐसा दीख पड़ा मानों काले बादल को बीच में करके बिजलियाँ चारों और से चमक रही हों , फिर वे चारों ओर सुन्दर ढंग से फ़िरने लगी । उस ...
... उस समय ऐसा दीख पड़ा मानों काले बादल को बीच में करके बिजलियाँ चारों और से चमक रही हों , फिर वे चारों ओर सुन्दर ढंग से फ़िरने लगी । उस ...
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... उस वीर का सूर्य सा तप था , जिससे बड़े २ शत्रुओं का नीर रूपी नूर सूख गया । यह देख तत्तारराय तौवरपति ने उस समय गहरे पत्र वाले वृक्ष का ...
... उस वीर का सूर्य सा तप था , जिससे बड़े २ शत्रुओं का नीर रूपी नूर सूख गया । यह देख तत्तारराय तौवरपति ने उस समय गहरे पत्र वाले वृक्ष का ...
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... उस वीर मंडलीक ने बिना मस्तक के होते हुए भी उसीक्षण उस खान ( गजनी खां ) को मार गिराया । विना सीस मँडलीक , हयौ गज्जनिय खान गुर | मीर अवर ...
... उस वीर मंडलीक ने बिना मस्तक के होते हुए भी उसीक्षण उस खान ( गजनी खां ) को मार गिराया । विना सीस मँडलीक , हयौ गज्जनिय खान गुर | मीर अवर ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने