Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... कर ईस स्वामी , प्रभू । वर = बल । अर्थः- जिसने दानव पति का संहार किया ; समुद्र मंथन कर लक्ष्मी की प्राप्ति की , ऋषियों के श्राप को ...
... कर ईस स्वामी , प्रभू । वर = बल । अर्थः- जिसने दानव पति का संहार किया ; समुद्र मंथन कर लक्ष्मी की प्राप्ति की , ऋषियों के श्राप को ...
Page 339
... कर == श्रपने हाथ में । जिहिं = जिस । संधान = शरापंजर | बुंद = बूंद | फुट्ठिय = फूटी , पार कर सकी । तिहिं - श्रग्गै = उसके श्रागे । तसकरणि ...
... कर == श्रपने हाथ में । जिहिं = जिस । संधान = शरापंजर | बुंद = बूंद | फुट्ठिय = फूटी , पार कर सकी । तिहिं - श्रग्गै = उसके श्रागे । तसकरणि ...
Page 406
... कर अन्दर घुसेड़ दी जिससे मतवाला गोकुलदास घायलावस्था में बिना पत्र के द्रुम - दंड के समान उछलने लगा और केलिस्तंभ के समान कैमास के ...
... कर अन्दर घुसेड़ दी जिससे मतवाला गोकुलदास घायलावस्था में बिना पत्र के द्रुम - दंड के समान उछलने लगा और केलिस्तंभ के समान कैमास के ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने