Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... घ ० दे . । २ भी ० घ ० । ३,५ , दे . | ४ का ० भी ० दे ० पा ० । शब्दार्थः – नेह - स्नेह | जिम - जिस प्रकार | नवला = नवौदा | जुत्रनागम = यौत्रनागमपर ...
... घ ० दे . । २ भी ० घ ० । ३,५ , दे . | ४ का ० भी ० दे ० पा ० । शब्दार्थः – नेह - स्नेह | जिम - जिस प्रकार | नवला = नवौदा | जुत्रनागम = यौत्रनागमपर ...
Page 272
... घ ० । २ पा ० भीं ० । ३ , ४ पा ० । ५ घ ० । शब्दार्थः - कग्गर - कागज , पत्र । सुविहानं = सुमान , मुसलमानों का देव , बादशाह । पलान्यौ = चढ़ाई 1 ...
... घ ० । २ पा ० भीं ० । ३ , ४ पा ० । ५ घ ० । शब्दार्थः - कग्गर - कागज , पत्र । सुविहानं = सुमान , मुसलमानों का देव , बादशाह । पलान्यौ = चढ़ाई 1 ...
Page 351
... घ ० । २ का ० पा ० घ ० । शब्दार्थ : - सार - मारह शस्त्रधारियों के मार से । फनफनि शेष नाग | पंकिय = पंकज'- - कृति । लत्ता = लता दोष । जोग योग ...
... घ ० । २ का ० पा ० घ ० । शब्दार्थ : - सार - मारह शस्त्रधारियों के मार से । फनफनि शेष नाग | पंकिय = पंकज'- - कृति । लत्ता = लता दोष । जोग योग ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने