Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... प्राप्त करवा मनुष्य का ही नहीं , देवता और दानव तक का कर्तव्य बतलाता है । अत में पृथ्वीराज को दिल्ली का राज्य अनंग पाल द्वारा प्राप्त ...
... प्राप्त करवा मनुष्य का ही नहीं , देवता और दानव तक का कर्तव्य बतलाता है । अत में पृथ्वीराज को दिल्ली का राज्य अनंग पाल द्वारा प्राप्त ...
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... प्राप्त नहीं हो सका वरन् भावों के प्रवाह में अलंकार सप्तरंगी सूर्य - रश्मियाँ , पेड़ - पौधे - पुष्प , लता को छाया की भाँति प्रवाहित ...
... प्राप्त नहीं हो सका वरन् भावों के प्रवाह में अलंकार सप्तरंगी सूर्य - रश्मियाँ , पेड़ - पौधे - पुष्प , लता को छाया की भाँति प्रवाहित ...
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... प्राप्त करके यश प्राप्त किया । पुनि धायौ नाहर नर्थंद , इन्द्र जनु हत्थ वत्र झलि । मुकति सुफल लभ्भीय , वीर ब्रहमंड द्वार खुलि ॥ नर ...
... प्राप्त करके यश प्राप्त किया । पुनि धायौ नाहर नर्थंद , इन्द्र जनु हत्थ वत्र झलि । मुकति सुफल लभ्भीय , वीर ब्रहमंड द्वार खुलि ॥ नर ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने