Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... बातें मुझे इच्छा करके देखने पर ध्रुव सत्य दीख पड़ी हैं ये सब तेरे कोली उखाड़ने से ही ज्ञात हुआ है । अतः इस बात पर विश्वास करके ...
... बातें मुझे इच्छा करके देखने पर ध्रुव सत्य दीख पड़ी हैं ये सब तेरे कोली उखाड़ने से ही ज्ञात हुआ है । अतः इस बात पर विश्वास करके ...
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... बात | अर्थः- इसके बाद पृथ्वीराज सभा में बैठा और उसे वीर - वरदान की बात का स्मरण हो आया जिससे अति प्रसन्नता हुई । रहे न आनँद कुँअर हिय ...
... बात | अर्थः- इसके बाद पृथ्वीराज सभा में बैठा और उसे वीर - वरदान की बात का स्मरण हो आया जिससे अति प्रसन्नता हुई । रहे न आनँद कुँअर हिय ...
Page 145
... बात है | श्रम सबल - ऐसा सबल । सबनि = पत्र 1 के । विट्ठी = बैठी , पसन्द आई । वेगो = शीघ्र | चरणि = दूतों को । चरचि = चर्चा कर सूचित कर | वत्त = बात ...
... बात है | श्रम सबल - ऐसा सबल । सबनि = पत्र 1 के । विट्ठी = बैठी , पसन्द आई । वेगो = शीघ्र | चरणि = दूतों को । चरचि = चर्चा कर सूचित कर | वत्त = बात ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने