Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... यह क्या किया आपने अकारण ही चालुक्यों को मार अपने वंश को कलंक लगाया । अन्त में यह निश्चय हुआ कि एक रत्न - जटित पट्टी कन्ह के नेत्रों ...
... यह क्या किया आपने अकारण ही चालुक्यों को मार अपने वंश को कलंक लगाया । अन्त में यह निश्चय हुआ कि एक रत्न - जटित पट्टी कन्ह के नेत्रों ...
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... यह ज्ञात नहीं कि इस संसार को वहन करना ही इस भव सिन्धु में तरंगे और तृष्णा ही ग्राह है उसके ( ग्राह X +++ X के ) सामने यह मानवीय देह हिरण ...
... यह ज्ञात नहीं कि इस संसार को वहन करना ही इस भव सिन्धु में तरंगे और तृष्णा ही ग्राह है उसके ( ग्राह X +++ X के ) सामने यह मानवीय देह हिरण ...
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... यह देख जग ज्योति व्यास ने शीघ्र ही मुहूर्त देख कर दैवयोग पाकर ... यह प्राचीन बात सुनी तो उसे आश्चर्य हुआ और यह द्विधा में पड़ गया कि ...
... यह देख जग ज्योति व्यास ने शीघ्र ही मुहूर्त देख कर दैवयोग पाकर ... यह प्राचीन बात सुनी तो उसे आश्चर्य हुआ और यह द्विधा में पड़ गया कि ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने