Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 1Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
From inside the book
Results 1-3 of 47
Page 145
... सकते हैं । यदि विपक्षी में ताकत हो तो शस्त्र चलाकर खङ्ग की ताकत से सेना का संहार करके उसे वह ले सकता है ( वरण कर सकता है ) । कवित्त ...
... सकते हैं । यदि विपक्षी में ताकत हो तो शस्त्र चलाकर खङ्ग की ताकत से सेना का संहार करके उसे वह ले सकता है ( वरण कर सकता है ) । कवित्त ...
Page 222
... सकते हैं । शत्रुओं के घर में पीड़ा पहुँचाई जा सकती है । भूमि का अनुसरण हो सकता है । दिल्ली जैसा स्थान लिया जा सकता है । भेद नीति की ...
... सकते हैं । शत्रुओं के घर में पीड़ा पहुँचाई जा सकती है । भूमि का अनुसरण हो सकता है । दिल्ली जैसा स्थान लिया जा सकता है । भेद नीति की ...
Page 274
... सकता है । भेद से राजाओं को बांधा जा सकता है , भेद से देवों तथा नवग्रहों को प्रसन्न किया जा सकता है । भेद युक्त मंत्रणा ही मंत्रणा है ...
... सकता है । भेद से राजाओं को बांधा जा सकता है , भेद से देवों तथा नवग्रहों को प्रसन्न किया जा सकता है । भेद युक्त मंत्रणा ही मंत्रणा है ...
Common terms and phrases
अंग अपने अर्थ अर्थः आदि इस प्रकार उन उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कन्ह कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० कि किया की कृष्ण के लिये के समान के साथ को कोई गई गया गये ग्रा० पाठ १ घ० घर चंद जा जिससे जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दिन दिया दिल्ली दी दे० देने दोनों दोहा द्वारा नहीं नाम ने पर पा० पा० १ पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज पृथ्वीराज के प्रा० प्राप्त बर बल बात ब्रह्मा भी मन मानों मुख मुगल में यह या युक्त युद्ध रस राज राजस्थान राजा राम रूप लगा लगी लगे लिया वर वर्णन वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शब्दार्थः शरीर शिव श्रेष्ठ सब सिर सु सूर्य से सेना स्थान स्वरूप हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने