Pramukh Bhartiya Shiksha Darshanik (in Hindi)

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Atlantic Publishers & Dist, 2004 - 288 pages
 

Selected pages

Contents

Section 1
1
Section 2
25
Section 3
39
Section 4
85
Section 5
133
Section 6
158
Section 7
214
Section 8
242

Common terms and phrases

अथवा अधिक अनुभव अन्य अपनी अपने अस्तु आत्मा आध्यात्मिक आवश्यक इन इस प्रकार इसके ईश्वर उनका उनके उन्होंने उपस्थित उसका उसकी उसके उसे एक कर करता है करते करना करने करने के का का विकास कारण कार्य किन्तु किया किसी की शिक्षा कुछ के अनुसार के लिए के लिये केवल को कोई क्योंकि गया है गाँधी जी चाहिए चाहिये जा सकता जाता है जीवन जो जोर दिया ज्ञान तक तथा तो था थी थे दर्शन दार्शनिक दिया दिया है देश धर्म धार्मिक ध्यान नहीं है ने पर प्रकार के प्रकृति प्रत्येक प्राचीन प्राप्त बल्कि बाद बालक भारत भारतीय भी मनुष्य महत्व मानव माना यह राधाकृष्णन् रूप से वह विकास विचार विचारों विभिन्न विवेकानन्द विशेष विषय वे व्यक्ति शक्ति शब्दों शिक्षा के शिक्षा दर्शन शिक्षा में श्री अरविन्द सकता है सकती सत्य सब सबसे सभी समय समाज सामाजिक से स्पष्ट ही हुए है और है कि हैं हो होता है होती

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