मेरी पहचान (कविता संग्रह)

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Book Bazooka Publication, Apr 12, 2022 - Poetry - 155 pages

प्रस्तुत पुस्तक में, मेरे नाना जी द्वारा रचित रचनाएं - कविताओं के रुप में सम्मिलित हैं ।

इस पुस्तक को प्रकाशित करना हमारे लिए एक अलग ही अनुभव रहा। यह पुस्तक केवल कविताओं से न जुड़कर बल्कि कहीं न कहीं हमारे नाना जी की भावनाओं व उनकी जीवनी के अनुभवों से भी जुड़ी है। हम इस पुस्तक के माध्यम से अपने नाना जी के सुविचारों को और उनके अनुभवों को आप सभी के साथ साझा करना चाहते हैं और लोगों के दिलों में साहित्य के प्रति प्रेम की भावना भी भरना चाहते हैं। । हमें विश्वास है इस पुस्तक में दिए गए उपदेश श्रद्धावान पाठकों के जीवन पथ को प्रकाशमान करने में सहायक सिद्ध होंगे।

धन्यवाद

- सोनिया वर्मा

 

Selected pages

Contents

Section 1
46
Section 2
61
Section 3
68
Section 4
96
Copyright

Common terms and phrases

अपना अपनी अपने अब आज इस ईश्वर उनकी ऊर्जा एक और कभी कर करते करना करने करें करो कहीं का काम काल किया किसी की कुछ कृष्ण के केवल को कोई कोरोना क्षेत्र गई गया गये घर चाहे जनता जब जाता जाती जाते जाना जी जीवन जो ज्ञान तक तुम तो था थी थे दिन दिया दिल दूर देकर देख देते देश दो द्वार नही नहीं नहीं कोई ना नाम नारी ने नेता पत्नी पर पानी पास प्यार प्रेम बड़ा बड़ी बदल बन बहुत बिन भारत भी मन मार्ग मिलने मिला मिले मुझे मृत्यु में मेरी मेरे मैं यदि यह यही या रहते रहा रही रहे राम रूप ले लेकर लो वर्मा विश्व शक्ति शब्द शिक्षा श्री श्रीमती सदा सब सबको सभी समय सरकार सुदामा से सेवा सोच हम हमें हर हाथ ही हुआ हुई हुए हेतु है हैं हो हों होता होती होते office Verma

About the author (2022)

मेरे नाना जी का नाम श्री दयानंद है । उनका उपनाम राजनाथ है। मेरे नाना जी का जन्म 19 मई 1939 को ग्राम लड़पुरा, जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ। वे मूल रूप से मेरठ के रहने वाले हैं और अभी भी मेरठ में ही रहते हैं। उनके पिताजी का नाम स्व० श्यामलाल है। उनकी माता जी का नाम स्व० चमेली देवी है। मेरे नाना जी चार भाई और दो बहने हैं । इनके सबसे बड़े भाई का नाम स्व० जयप्रकाश वर्मा है और उनके मंजिलें भाई का नाम स्व० रामनिवास वर्मा है। मेरे नाना जी के छोटे भाई का नाम स्व० राम रतन वर्मा है। इनकी बड़ी बहन का नाम स्व० चंद्रवती है । और इनकी छोटी बहन का नाम अंगूरी देवी है। इन्होंने अपनी दूसरी कक्षा तक की पढाई उर्दू भाषा में की। और अपनी प्राथमिक शिक्षा बहुत ही कष्टदायक तरीके से पूर्ण की जिसको इन्होंने अपनी एक कविता के रूप में भी प्रस्तुत किया है। 14 दिसंबर 1956 को मेरे नाना जी का विवाह श्रीमती सुशीला देवी( मेरी नानीजी) से संपन्न हुआ। इनकी शिक्षा टूट टूट कर पूरी हुई। पर मेरे नाना जी ने संघर्षों को पार करते हुए अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी की और नौकरी भी जल्दी ही शुरू कर दी। समय का दौर चलता रहा और उनकी कई पदोन्नति हुईं जिसका विवरण इन्होंने खुद ही आगे किया है।

सोनिया वर्मा

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